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नए आपराधिक कानून हुआ लागू :- 01/07/2024 से आईपीसी, सीआरपीसी, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली जाएगी आपराधिक कानून | सीआरपीसी |

नए आपराधिक कानून लागू: 01/07/2024 से आईपीसी, सीआरपीसी, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली जाएगी
आपराधिक कानून | सीआरपीसी |

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देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने वाले एक कदम के तहत, तीन नए आपराधिक कानून , 01 जुलाई से लागू हो गए हैं। पिछले दिसंबर में संसद में पारित भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेंगे।

तीन नए आपराधिक कानूनों में समकालीन समय और प्रचलित तकनीकों के अनुरूप कई नए प्रावधान शामिल किए गए हैं। तीनों नए कानूनों को 21 दिसंबर, 2023 को संसद की मंजूरी मिली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर, 2023 को अपनी स्वीकृति दी और उसी दिन आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया गया।

अधिसूचना के अनुसार, तीनों कानून सजा के बजाय न्याय पर ध्यान केंद्रित करेंगे और इनका उद्देश्य त्वरित न्याय प्रदान करना, न्यायिक और न्यायालय प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करना तथा ‘सभी के लिए न्याय तक पहुंच’ पर जोर देना है।

भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएँ होंगी (आईपीसी में 511 धाराओं के बजाय)। विधेयक में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं, और उनमें से 33 के लिए कारावास की सज़ा बढ़ा दी गई है।

83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है। छह अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा का दंड पेश किया गया है और 19 धाराओं को विधेयक से हटा दिया गया है।

भारतीय न्याय संहिता ने यौन अपराधों से निपटने के लिए ‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध’ शीर्षक से एक नया अध्याय शुरू किया है। नाबालिग महिला के साथ सामूहिक बलात्कार से संबंधित प्रावधान यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) के अनुरूप हो जाएंगे, और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के मामले में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।

संहिता में सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान है और 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार को अपराध की नई श्रेणी में रखा गया है। संहिता में धोखाधड़ी से यौन संबंध बनाने या बिना शादी करने के वास्तविक इरादे के शादी का वादा करने वाले व्यक्तियों के लिए लक्षित दंड का प्रावधान है।

भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है तथा इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है।

नए प्रावधानों में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियाँ, अलगाववादी गतिविधियाँ या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को ख़तरा पैदा करने वाली कोई भी गतिविधि शामिल है। छोटे संगठित अपराधों को भी अपराध माना गया है, जिसके लिए सात साल तक की सज़ा हो सकती है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएँ होंगी (सीआरपीसी की 484 धाराओं के स्थान पर)। विधेयक में कुल 177 प्रावधानों में बदलाव किया गया है, तथा इसमें नौ नई धाराएँ और 39 नई उप-धाराएँ जोड़ी गई हैं। मसौदा अधिनियम में 44 नए प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं। 35 धाराओं में समय-सीमाएँ जोड़ी गई हैं और 35 स्थानों पर ऑडियो-वीडियो प्रावधान जोड़ा गया है। संहिता में कुल 14 धाराओं को निरस्त और हटाया गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की 35 धाराओं में समयसीमा जोड़ी गई है, जिससे न्याय की गति को तेज किया जा सकेगा। विधेयक में आपराधिक कार्यवाही शुरू करने, गिरफ्तारी, जांच, आरोप पत्र, मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही, संज्ञान, आरोप, दलील सौदेबाजी, सहायक लोक अभियोजक की नियुक्ति, मुकदमा, जमानत, निर्णय और सजा तथा दया याचिका के लिए समयसीमा निर्धारित की गई है।

भारतीय साक्षरता अधिनियम में मूल 167 प्रावधानों के स्थान पर 170 प्रावधान होंगे तथा कुल 24 प्रावधानों में परिवर्तन किया गया है। दो नये प्रावधान तथा छः उप-प्रावधान जोड़े गए हैं तथा अधिनियम में छः प्रावधानों को निरस्त या हटा दिया गया है।

नए आपराधिक कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन से ‘तारीख पे तारीख’ युग का अंत हो जाएगा और तीन साल में न्याय दिया जाएगा, जैसा कि पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया था।

आपराधिक न्याय प्रणाली के तीनों कानूनों में सुधार की यह प्रक्रिया 2019 में शुरू की गई थी और इस संबंध में विभिन्न हितधारकों से 3,200 सुझाव प्राप्त हुए थे।

29 जून को तीन नए कानूनों पर बोलते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ब्रिटिश काल के तीन कानून जो भारतीय न्यायिक प्रणाली को नियंत्रित कर रहे थे, उन्हें त्वरित न्याय देने की अवधारणा पर बदल दिया गया है।
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न्यूज़ इंडो गल्फ (पोर्टल चैनल)

पुलिस की जवाबदेही में इजाफा

1, सर्च और जप्ती में वीडियो ग्राफी अनिवार्य,

2, गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना देना अनिवार्य,

3, 3 वर्ष से कम करवास /60 वर्ष से अधिक उम्र में पुलिस अधिकारी की पूर्व अनुमति अनिवार्य,

4, गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा,

5, 20 से अधिक ऐसी धाराएं हैं जिसे पुलिस की जवाब दे ही सुनिश्चित होगी,

6, पहली बार पार्लियामेंट्री इंक्वारी का प्रावधान करा गया,

राजद्रोह को हटाना और देशद्रोह की व्याख्या

1, गुलामी की सभी निशानियों का समाप्त करना,

2, अंग्रेजों का राजद्रोह कानून राज्यों (देश) के लिए नहीं बल्कि शासन के लिए था,

3, राजद्रोह जड़ से समाप्त,

4, लेकिन, देश विरोधी हरकतों के लिए कठोर सजा,

5, भारत की संप्रभुता और अखंडता अकेली के खिलाफ कार्य पर 7 साल तक या आजीवन कारावास,

विक्टिम सेंट्रिक कानून

1,विक्टिम-सेंट्रिक कानून के तीन प्रमुख फीचर्स,

1,विक्टिम को अपनी बात रखने का मौका,
2, इंफॉर्मेशन का अधिकार और

3,नुकसान के लिए छतिपूर्ति का अधिकार,

1,जीरो fir दर्ज करने को किया संस्थागत,
2, अब fir कहीं भी दर्ज कर सकते हैं,
3, विक्टिम को fir की एक प्रती नि०शुल्क प्राप्त करने का अधिकार,
4, 90 दिनों के भीतर जांच ने प्रगति की जानकारी,

मॉम लिंचिंग

1, पहली बार मॉम लिंचिंग को परिभाषित किया गया,
2, नस्ल /जाति /समुदाय ,लिंग ,जन्म स्थान, भाषा भाषा आदि से प्रेरित हत्या /गंभीर चोट मॉम लिंचिंग,
3, सात वर्ष की कैद का प्रावधान,
4, स्थाई विकलांगता 10 वर्ष की सजा आजीवन खरवास,

फॉरेनसिक को बढ़ाव

1, फॉरेनसिक अनिवार्य साथ वर्ष या अधिक की सजा वाले सभी अपराध,

2, इंवेस्टिगेशन में साइंटिफिक पद्धति को बढ़ावा,

3, कनवेंकशन रेट में 90 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य,

4, सभी राज्यों /संघ राज्यों में फॉरेंसिक अनिवार्य,

5, राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर पांच वर्ष में तैयार होगा,

6, मेन पावर के लिए राज्यों में FSU शुरू करना,

7, फॉरेनसिक के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए जगह जगह लैब बनाना,

तकलीफ का उपयोग

1, विश्व की सबसे आधुनिक नयाय प्राणली बनानी है,

2, 50 साल तक आने वाली सभी आधुनिक तकनीकी इसमें समाहित हो सकेगी,

3, Computerization : पुलिस इन्वेस्टीगेशन से लेकर कोर्ट तक की प्रक्रिया,

4, E-Record

5, जीरो fir,E- fir चार्जशीट डिजिटल होगी,

6, 90 दिनों में मिलेगी पीढ़ित को जानकारी,

7, फॉरेंसिक अनिवॉर 7 वर्ष या अधिक की सजा वाले मामले में,

8, गवाहों की रिकॉर्डिंग जांच पड़ताल में गवाहों की रिकॉर्डिंग को अनुमति,

9, वीडियो ग्राफी अनिवार्य – पुलिस सर्च की पूरी प्रक्रिया के वीडियोग्राफी,

10, E- बयान: बलात्कार पीड़िता के लिए E- बयान,

11, कोर्ट में ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाएगी,

12, E- पेशी: गवाहों ,आरोपियों, विशेषज्ञों और पीड़ित को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पेशी,

महिलाओं और बच्चों के अपराध

1, प्राथमिकता :महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध (पहले खजाने की लूट थी)

2,BNS मैं महिलाओं व बच्चों के प्रती अपराध पर नया अध्याय,

3, महिलाओं व बच्चों के अपराध से संबंधित 35 धाराएं हैं जिनमें लगभग 13 नए प्रावधान है और बाकी मे कुछ संशोधन,

4, गैंगरेप :- 20 साल की सजा आजीवन कारावास,

5, नाबालिक के साथ सामूहिक बलात्कार:- मौत की सजा आजीवन कारावास,

6, झूठा वादा पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध है,

7, पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला अधिकारी के सामने ही रिकॉर्ड,

8,पीड़िता के अभिभावक की उपस्तिथि में होगा बयान दर्ज,

नए अपराधिक कानून दंड नहीं ,नयाये केंद्रित,

1,सामुदायिक सजा:- छोटे अपराध में,

2, भारतीय नयाय दर्शन के अनुरूप,

3,₹5000 से कम मूल्य की चोरी पर कम्युनिटी सर्विसज का प्रावधान,

4,6 अपराधों में कम्युनिटी सर्विसेज को समाहित किया गया,

समय पर न्याय

1, समय सीमा निर्धारित हमारा प्रयास रहेगा कि 3 साल में मिल जाए न्याय,

2, तारिख पर तारीख से मिलेगी मुक्ति,

3, 35 सेक्शनो टाइमलाइन जोड़ी गई,

4, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत देने पर 3 दिन में शिकायत दर्ज,

5, यौन उत्पीड़न में जांच रिपोर्ट 7 दिन के भीतर भेजनी होगी,

6, पहली सुनवाई के साथ दिनों के भीतर आरोप तय होंगे,

7, घोषित अपराधियों के खिलाफ अनु उपस्तिथि की स्तिथि में 90 दिनों के भीतर मुकदमा,

8, अपराधिक मामलों में मुकदमे की सहमति के 45 दिनों के अंदर निर्णय देना होगा,

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